वास्तु शास्त्र (शाब्दिक अर्थ: "आर्किटेक्चर का विज्ञान") भारत में उत्पन्न एक पारंपरिक वास्तुकला प्रणाली है। यह डिजाइन, नक्शा, माप, भूमि तैयारी, स्थान व्यवस्था और ज्यामितीय संरचना के सिद्धांतों का वर्णन करती है। वास्तु शास्त्र में पारंपरिक हिंदू (और कुछ मामलों में बौद्ध) विश्वास शामिल हैं, जो वास्तुकला को प्रकृति, संरचना के विभिन्न भागों के कार्यों, और ज्यामितीय पैटर्न (यंत्र), समरूपता और दिशात्मक संरेखण के साथ एकीकृत करता है।
वास्तु शास्त्र, प्राचीन भारतीय वास्तुकला और स्थानिक संतुलन का विज्ञान, वैदिक काल से हजारों साल पुराना है। यह वेदों और पुराणों जैसे पवित्र ग्रंथों पर आधारित है। प्राचीन ऋषियों ने मंदिरों, घरों और नगरों को इस सिद्धांत अनुसार डिजाइन किया ताकि समृद्धि, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक विकास सुनिश्चित हो सके।
वास्तु शास्त्र में दिशाओं को भारी महत्व दिया जाता है क्योंकि प्रत्येक दिशा अलग ऊर्जा और तत्व से जुड़ी होती है। आठ मुख्य दिशाएँ—उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम, उत्तर-पूर्व, उत्तर-पश्चिम, दक्षिण-पूर्व और दक्षिण-पश्चिम—जीवन के विभिन्न पहलुओं को नियंत्रित करती हैं। जैसे- पूर्व, जिसे सूर्य शासित करता है, विकास और स्वास्थ्य का प्रतीक है, जबकि उत्तर, बुध से जुड़ा, धन और समृद्धि लाता है।
मूल सिद्धांतों में शामिल हैं—कमरों का सही अव्यव, दरवाज़ों और खिड़कियों की स्थिति, और पंचतत्व—भूमि, जल, अग्नि, वायु और आकाश—का संतुलन। उदाहरण के लिए, रसोई को दक्षिण-पूर्व और मुख्य शयनकक्ष को दक्षिण-पश्चिम में रखना ऊर्जा संतुलन में मदद करता है।
वास्तु शास्त्र वास्तुकला में प्राकृतिक तत्वों और ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ संतुलन बनाने में मदद करता है। यह संरचना के लेआउट, डिज़ाइन और ओरिएंटेशन के लिए मार्गदर्शन देता है, जिससे स्वास्थ्य, समृद्धि और मानसिक शांति को बढ़ावा मिलता है।
जब वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन किया जाए, तो जीवन में शांति, समृद्धि और सफलता प्राप्त हो सकती है। यह वास्तु पुरूष की ऊर्जा संतुलन और दिशाओं के साथ सामंजस्य स्थापित करने में मदद करता है।
वास्तु प्रक्रिया की शुरुआत साइट प्रस्ताव से होती है जिसमें भवन की जानकारी शामिल होती है। जरूरत समझने के बाद ही फीस बताई जाती है।
सलाहकार भूमि की दिशा, आकार, ढलान और आसपास की स्थितियों का निरीक्षण करते हैं ताकि सही आकलन किया जा सके।
रसोई, पूजा घर, शयनकक्ष आदि की स्थिति का वास्तु सिद्धांतों के अनुसार विश्लेषण किया जाता है।
परिवर्तन के बाद सलाहकार फिर से निरीक्षण करते हैं और ज़रूरत अनुसार सुधार का सुझाव देते हैं।
हमारी वास्तु सेवाएँ आपके जीवन में संतुलन, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए डिज़ाइन की गई हैं।
अपने घर में सुख, शांति और समृद्धि के लिए वास्तु सिद्धांतों का पालन करें।
अपने व्यापार की वृद्धि और सफलता के लिए कार्यालय या दुकान का वास्तु अनुसार निर्माण।
कारखानों व उद्योगों की उत्पादकता और दक्षता बढ़ाने के लिए वास्तु समाधान।
सही दिशा, ढलान और भूमि के आकार का चुनाव वास्तु के अनुसार करें।
बिना तोड़-फोड़ के वास्तु दोषों को ठीक करने के सरल उपाय।
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यहाँ हमने वास्तु सेवाओं से जुड़े कुछ सामान्य प्रश्नों के उत्तर दिए हैं जो आपके मन में हो सकते हैं।