वास्तु में मुख्य द्वार की दिशा से घर में प्रवेश करने वाली ऊर्जा का गहरा प्रभाव होता है। नीचे 32 संभावित द्वारों की जानकारी दी गई है, जो वास्तु अनुसार शुभ या अशुभ माने जाते हैं।
🔵 उत्तर दिशा (N1–N8)
N1 (Roga): रोग, तनाव और स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है।
N2 (Naga): धन, व्यवसाय और संपत्ति में वृद्धि करता है।
N3 (Mukhya): सर्वोत्तम — सकारात्मक ऊर्जा, स्वास्थ्य और समृद्धि देता है।
N4 (Bhallat): बाधाएं और संघर्ष ला सकता है।
N5 (Soma): शुभ द्वार — मानसिक शांति और भाग्य में वृद्धि करता है।
N6 (Bhujang): आर्थिक प्रगति और अच्छी सामाजिक छवि लाता है।
N7 (Aditi): अस्थिरता और असंतुलन ला सकता है।
N8 (Diti): नकारात्मक ऊर्जा और पारिवारिक कलह उत्पन्न कर सकता है।
🟠 पूर्व दिशा (E1–E8)
E1 (Shikhi): शिक्षा और प्रसिद्धि में लाभदायक।
E2 (Parjanya): रचनात्मकता और मानसिक शक्ति बढ़ाता है।
E3 (Jayanta): सफलता और नेतृत्व क्षमता में सहायक।
E4 (Indra): शक्ति, पद-प्रतिष्ठा और मान-सम्मान देता है।
E5 (Surya): ज्ञान, आत्मविश्वास और तेज प्रदान करता है।
E6 (Satya): स्थिरता, ईमानदारी और संतोष लाता है।
E7 (Bhrisha): अत्यधिक शुभ — समृद्धि, सम्मान और सफलता लाता है।
E8 (Akash): मानसिक स्पष्टता और नए अवसर प्रदान करता है।
🔴 दक्षिण दिशा (S1–S8)
S1 (Anil): अशुभ — चिंता, संघर्ष और अस्थिरता ला सकता है।
S2 (Poosha): सीमित लाभ, प्रयास के बावजूद धीमी प्रगति।
S3 (Vitatha): भ्रम या मिथ्या विचारों में वृद्धि कर सकता है।
S4 (Grihrakshita): शुभ — घर की सुरक्षा और स्थिरता बढ़ाता है।
S5 (Yama): अशुभ — दुर्भाग्य और संघर्ष ला सकता है।
S6 (Gandharva): रिश्तों में टकराव और मानसिक परेशानी का कारण बनता है।
S7 (Bhringraj): अचानक समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है।
S8 (Mriga): स्थिरता की कमी और अशांति देता है।
⚫ पश्चिम दिशा (W1–W8)
W1 (Pitra): पूर्वज दोष और मानसिक तनाव ला सकता है।
W2 (Dwarika): मानसिक उलझन और आलस्य में वृद्धि करता है।
W3 (Sugriva): शुभ — स्थिरता, धैर्य और संतोष देता है।
W4 (Pushpdanta): उच्च धन लाभ और प्रतिष्ठा के लिए उत्तम।
W5 (Varuna): आर्थिक मामलों में लाभदायक।
W6 (Asura): धोखा, मानसिक अशांति का कारण बनता है।
W7 (Shosha): ऊर्जा का ह्रास — थकान व आलस्य ला सकता है।
W8 (Papyakshma): अशुभ — बीमारी और मानसिक तनाव का कारण बनता है।
🧿 मुख्य द्वार हेतु वास्तु सुझाव
मुख्य द्वार सबसे बड़ा और सबसे प्रमुख होना चाहिए।
द्वार पर रोशनी, नामपट्ट और स्वच्छता ज़रूरी है।
द्वार के सामने कोई अड़चन (जैसे खंभा, पेड़) नहीं होनी चाहिए।